प्रदर्शनकारियों ने शवयात्रा के लिए खोली बंद सड़क, ‘अब चलो संसद’ का दिया नारा

जामिया नगर और शाहीन बाग में एक बार फिर से नागरिकता कानून के विरोध में स्वर उठने लगे हैं। इन दोनों ही जगह पर शनिवार को विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक दिन के लिए स्थगित किया गया था। पुलिस ने चुनाव के दिन कानून व्यवस्था के मद्देनजर अपील की थी, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने यह निर्णय लिया। हालांकि अब इन दोनों ही जगह पर फिर से प्रदर्शनकारी लामबंद हो गए हैं, जिन्होंने सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून की खिलाफत करनी शुरू कर दी है। 



सोमवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया गेट नंबर सात पर दिन में बारह बजे सभी प्रदर्शनकारी एकत्रित होंगे, जो वहां से संसद का रुख करेंगे। बकायदा, इसे चलो संसद की एक लाइन भी दी गई है। सभी लोगों को सीएए व एनके आरसी के विरोध और संविधान व देश को बचाने के लिए वहां एकत्रित होने का आहवान किया गया है। वहीं, दूसरी तरफ रविवार को शाहीन बाग इलाके में प्रदर्शन के बीच लोगों को जब पता चला कि एक शख्स की मौत हो गई है, उसका अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशान घाट इसी रास्ते से होकर जाएंगे तो लोगों ने बिना कोई देरी किए वहां लगे बैरिकेड समय रहते हटा दिए। जिसके बाद इसी प्रदर्शन स्थल के बीच से होकर एक अर्थी श्मशान घाट तक पहुंची। इस दौरान वहां मौजूद प्रदर्शनकारियों ने उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की।


दो लोगों को पकड़ कर पुलिस के हवाले किया था: शाहरुख


शाहीन बाग में प्रदर्शन में शामिल शाहरुख ने बताया कि शनिवार को यहां दो लोगों को पकड़ा गया। उनके मोबाइल में वाट्सएप चैट पर हम लोगों के लिए अपशब्द लिखे गए थे, जो किसी संगठन से जुड़े थे। वे यहां चल रहे प्रदर्शन की जानकारी लेने के लिए पहुंचे थे, जिन्हें बाद में पुलिस के हवाले कर दिया। बाद में पुलिस ने इन दोनों को प्रारम्भिक पूछताछ के बाद छोड़ दिया, जिन्होंने बताया वे यहां शाहीन बाग का माहौल देखने के लिए आए थे।


सहयोग: लंगर लगाने के लिए बेचा फ्लैट


शाहीन बाग व दिल्ली में अन्य जगह चल रहे सीएए, एनआरसी व एनपीआर के विरोध में चल रहे प्रदर्शनस्थल पर लंगर लगाने वाले पेशे से अधिवक्ता डीएस बिंद्रा का दावा है कि इसके लिए उन्होंने अपना एक फ्लैट बेच दिया है। उनके पास दो फ्लैट हैं एक में अभी वह रहते हैं। उनका कहना है कि प्रदर्शन में लोगों की सेवा के लिए उन्होंने ऐसा किया है। किसी धार्मिक स्थल पर आर्थिक दान देने से अच्छा है कि वाहे गुरु ने जो उन्हें दिया है उसे मानवता की सेवा लगा दिया जाएग।


बिंद्रा शाहीन बाग के अलावा खुरेजी व मुस्तफाबाद में भी लंगर चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि लंगर चलाने में ओर लोग भी उनकी मदद करते हैं। वह किसी ने नगद पैसे नहीं लेते कोई सब्जी, कोई व्यक्ति आटा जो उसकी इच्छा होती है लंगर स्थल पर दे जाता है। बिंद्रा के मुताबिक जब लंगर के लिए उनकी जमा पूंजी कम पड़ी तो उन्होंने दिल्ली में स्थित अपना एक फ्लैट बेचने की सोची। इस बारे में अपने बच्चों की राय ली तो उन्होंने कोई एतराज नहीं जताया। उनकी एक बेटी है जो एमिटी यूनिवर्सिटी से एमबीए कर रही है। बेटे की मोबाइल की दुकान है।